Sunday 28 April 2019

वाक्य विचार (Formation of Sentences)

वाक्य की परिभाषा : जो शब्द किसी अर्थ को पूर्णरूपेण स्पष्ट कर देता है, उसे वाक्य कहते हैं ; जैसे - किसान खेत जोतता है | आकाश में वायुयान उड़ता है | 

वाक्यों के भेद : रचना अथवा गठन और अर्थ की दृष्टि से वाक्यों के अलग-अलग भेद किये जाते हैं |

(अ) गठन की दृष्टि से वाक्य भेद : गठन की दृष्टि से वाक्यों के तीन भेद होते हैं -
  (१) साधारण वाक्य  (२) मिश्रित वाक्य  (३) संयुक्त वाक्य 

(१) साधारण वाक्य: जिन वाक्यों में केवल एक ही कर्त्ता और एक ही क्रिया पायी जाती है, उन्हें साधारण वाक्य कहा जाता है; जैसे - आकाश में पक्षी उड़ते हैं | बालिका मैदान में खेलती है | 
(२) मिश्रित वाक्य : जिन वाक्यों में एक मुख्य वाक्य होता है और उस पर आश्रित एक अथवा उससे अधिक उपवाक्य होते हैं, उन्हें मिश्रित वाक्य कहा जाता है; जैसे - जितना कर्म करोगे, उतना ही फल पाओगे | यदि बिजली होती तो चोर नहीं आते | 
(३) संयुक्त वाक्य : जिन वाक्यों में दो अथवा दो से अधिक साधारण अथवा मिश्रित वाक्य पाये जाते हैं, उन्हें संयुक्त वाक्य कहते हैं; जैसे - आसमान साफ़ है, अतः आज वर्षा नहीं होगी | 

(ब) अर्थ की दृष्टि से वाक्य भेद : अर्थ की दृष्टि से वाक्यों के निम्नलिखित आठ भेद होते हैं -

(१) विधानार्थक वाक्य : जिन वाक्यों से किसी कार्य के होने का ज्ञान होता है, उन्हें विधानार्थक वाक्य कहते हैं; जैसे - विभीषण ने राम की बहुत सहायता की थी | 
(२) निषेधार्थक वाक्य : जिन वाक्यों से किसी कार्य के ना होने का ज्ञान होता है, उसे निषेधार्थक वाक्य कहते हैं; जैसे - रावण ने बिना युद्ध के सीता को नहीं लौटाया | 
(३) प्रश्नार्थक वाक्य : जिन वाक्यों से किसी वस्तु, पदार्थ अथवा कार्य के विषय में पूछे जाने का ज्ञान होता है, उन्हें प्रश्नार्थक वाक्य कहते हैं ; जैसे - विश्व में ऐसा कौन सा प्राणी है, जिसे अपनी जान प्यारी नहीं है ?
(४) आज्ञार्थक वाक्य : जिन वाक्यों से आज्ञा, उपदेश देने अथवा प्रार्थना किये जाने का ज्ञान होता है, उन्हें आज्ञार्थक वाक्य कहते हैं ; जैसे - 
इस समय आप घर आ जाओ | (आज्ञा)
मानव की सेवा ईश्वर की सेवा है | (उपदेश)
कृपया यह सामान मेरे भाई को दे दीजिये | (प्रार्थना)
(५) इच्छार्थक वाक्य : जिन वाक्यों से किसी इच्छा का ज्ञान होता है, उन्हें इच्छार्थक वाक्य कहते हैं ; जैसे - माँ के आर्शीवाद से तुम्हें पुत्ररत्न की प्राप्ति अवश्य होगी | 
(६) संकेतार्थक वाक्य : जिन वाक्यों से किसी बात का संकेत मिलता है, उन्हें संकेतार्थक वाक्य कहा जाता है | जैसे - तुम फिर वही रट लगा रहे हो | 
(७) संदेहार्थक वाक्य : जिन वाक्यों से किसी बात के विषय में संदेह उत्पन्न होता है, उन्हें संदेहार्थक वाक्य कहा जाता है ; जैसे - क्या तुम्हारी आयु ठीक लिखी है ?
(८) विस्मयार्थक वाक्य : जिन वाक्यों से विस्मय के भाव की अभिव्यक्ति होती है, उन्हें विस्मयार्थक वाक्य कहते हैं ; जैसे - वाह! तुम उत्तीर्ण हो गए | 

वाक्य के भाग : वाक्य के दो भाग होते हैं -
(क) उद्देश्य  (ख) विधेय 

(क) उद्देश्य : किसी भी वाक्य में जिस व्यक्ति, वस्तु अथवा पदार्थ के विषय में बात कही जाती है, उसे अर्थात वाक्य के कर्त्ता को उद्देश्य कहते हैं ; जैसे - 
     (अ) बच्चा चारपाई से गिर गया | 
     (ब) एक बहुत सुन्दर बच्चा मेरे पास आया | 
     (स) राम, लक्ष्मण और सीता वन को गये | 
ऊपर के वाक्यों में पहले और दूसरे वाक्यों में बच्चे के विषय में बातें कही गयीं हैं, अतः 'बच्चा' उद्देश्य है | तीसरे वाक्य में राम, लक्ष्मण और सीता के विषय में बातें कही गयीं हैं ; अतः वे तीनों ही वाक्य के उद्देश्य हैं | 
उद्देश्य का विस्तार : वाक्य में जो शब्द उद्देश्य की विशेषता बताते हैं; उन्हें उद्देश्य का विस्तार कहा जाता है ; जैसे - ऊपर के वाक्य (ब) में 'बच्चा' उद्देश्य है और 'एक बहुत सुन्दर' शब्द बच्चे की विशेषता बताने वाले शब्द हैं ; अतः 'एक बहुत सुन्दर' शब्द उद्देश्य का विस्तार कहलायेंगे |

(ख) विधेय : वाक्य में उद्देश्य के विषय में जो कुछ भी कहा जाता है, उसे विधेय कहते हैं ; जैसे - भारतीय सैनिकों ने आकाश से बमवर्षा करके शत्रु को पराजित कर दिया |
ऊपर के वाक्य में 'आकाश से बमवर्षा करके शत्रु को पराजित कर दिया' विधेय है |
विधेय का विस्तार : वाक्य में मुख्य बात के अतिरिक्त जो भाग होता है, उसे विधेय विस्तार कहा जाता है ; जैसे - ऊपर के वाक्य में मुख्य बात 'शत्रु को पराजित कर दिया' है | 'आकाश से बमवर्षा करके' विधेय का विस्तार है | क्रिया-विशेषण, कर्म, कर्म के विशेषण, समस्त कारकों को व्यक्त करने वाले शब्दों आदि से विधेय का विस्तार होता है |

विशेष : किसी भी वाक्य की रचना के लिए उद्देश्य और विधेय का होना अनिवार्य होता है, दोनों में से किसी के अभाव में वाक्य की रचना नहीं हो सकती |