Thursday 2 May 2019

विराम चिह्न (Punctuations)

प्रत्येक भाषा को बोलते समय उसमें बीच-बीच में रुकना पड़ता है, इस रुकने को प्रदर्शित करने के लिए लिखते समय कुछ चिह्नों का संकेत रूप में प्रयोग किया जाता है | भाषा में इन संकेत-चिह्नों को ही विराम चिह्न कहा जाता है | 

विराम चिह्नों का महत्त्व : विराम चिह्नों का भाषा में अत्यधिक महत्त्व है | इनके प्रयोग से जहाँ भाषा के सौंदर्य में वृद्धि होती है, वहीँ इनके प्रयोग से मन के भावों को व्यक्त करने में भी बड़ी सहायता मिलती है | अर्थ की दृष्टि से तो ये और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं; क्योंकि इनके प्रयोग से वाक्यों का अर्थ बिल्कुल ही बदल जाता है ; जैसे - 
(क) सुनो मत, आगे बढ़ो | 
(ख) सुनो, मत आगे बढ़ो | 
देखिये, ऊपर के दोनों वाक्यों में एक समान क्रम में एक ही समान शब्दों का प्रयोग किया गया है, किन्तु केवल एक अल्प विराम के प्रयोग से दोनों का अर्थ अलग-अलग हो गया है | 



विराम चिह्नों के भेद : 

(१) पूर्ण विराम : वाक्य के पूर्ण हो जाने पर जो चिह्न लगाया जाता है, उसे पूर्ण विराम कहा जाता है | इसका चिह्न ( | ) है; जैसे - ग्वाले घर लौट रहे हैं | माता दूध को मथ रही हैं | 

(२) अल्प विराम : जहाँ एक शब्द को दूसरे शब्द से अथवा एक वाक्य को दूसरे वाक्य से अलग करने के लिए थोड़ा रुका जाता है, वहाँ अल्प विराम लगाया जाता है | इसका चिह्न ( , ) है ; जैसे - हनुमान, अंगद और जामवन्त सीता की खोज के लिए निकल गए | तुम थोड़ा ठहरो, मैं अभी आया | 

(३) अर्द्ध विराम : वाक्यों में जहाँ पूर्ण विराम से काम तथा अल्प विराम से अधिक रुकना पड़ता है, वहाँ अर्द्ध विराम का प्रयोग किया जाता है | इसका चिह्न ( ; ) है ; जैसे - सूर्य निकलेगा; प्रभात होगा; कमल खिलेगा और उसमें बन्द भौंरा उड़ जाएगा | 

(४) अपूर्ण विराम : जहाँ वाक्य पूर्ण ना हुआ हो और उसको पूर्ण करने के आगे कुछ लिखना होता है, वहाँ पर अपूर्ण विराम लगाया जाता है | इसके स्थान पर निर्देशन चिह्न का प्रयोग भी किया जाता है | अपूर्ण विराम का चिह्न ( : ) है ; जैसे - वचन दो प्रकार के होते हैं : एकवचन, बहुवचन | 

(५) प्रश्न चिह्न : जिस वाक्य में कोई प्रश्न पूछा जाता है, उसके अन्त में पूर्ण विराम के स्थान पर प्रश्न चिह्न लगाया जाता है | इसका चिह्न ( ? ) है ; जैसे - तुम्हारे विद्यालय का क्या नाम है ?

(६) विस्मयादिबोधक : सम्बोधन, हर्ष, शोक, घृणा, दुःख आदि को बताने वाले शब्दों के पश्चात विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रयोग किया जाता है | इसका चिह्न ( ! ) है; जैसे - बेचारा ! दुःख का मारा है | 

(७) योजक : समस्त पदों (जिनमें समास हो) में एक-दूसरे के पूरक दो शब्दों के मध्य यह चिह्न लगाया जाता है | इसका चिह्न ( - ) है; जैसे - माता-पिता, भाई-बहन, छोटा-बड़ा | 

(८) निर्देशन चिह्न : किसी बात का उदाहरण देने से पूर्व अथवा किसी के कथन का उल्लेख करने से पूर्व यह चिह्न लगाया जाता है ; जैसे - गुरूजी ने कहा - कल सभी बच्चे अपनी वेशभूषा में आयेंगे | 

(९) लाघव चिह्न : किसी शब्द को संक्षिप्त रूप में लिखने के लिए इस चिह्न का प्रयोग जाता है | इसका चिह्न ( ० ) है ; जैसे - भा० ज० पा०  = भारतीय जनता पार्टी, रा० सु० का० = राष्ट्रीय सुरक्षा कानून | 

(१०) उद्धरण चिह्न : किसी दूसरे के कथन को जैसे का तैसा ही अर्थात् उसके मूल रूप में प्रयोग करने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है | इसका चिह्न ( " " ) है | इस्नमेँ से एक चिह्न कथन से पूर्व तथा एक चिह्न कथन की समाप्ति पर लगाते हैं ; जैसे - रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने लिखा है - "परहित सरिस धरम नहिं भाई | "
    जब किसी व्यक्ति विशेष और पुस्तक आदि का नाम लिखना होता है तो नाम से पहले तथा बाद में दो-दो चिह्न ना लगाकर एक-एक चिह्न लगाया जाता है ; जैसे - 'रामचरित्तमानस', 'गीता', 'कुरान', 'कार्लमार्क्स', 'लेनिन', 'विनोबा भावे' इत्यादि | 

(११) कोष्ठक : किसी शब्द के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है | इसका चिह्न ( ) है ;  जैसे - सेठ करोड़ीमल बहुत कृपण (कंजूस) व्यक्ति हैं |