Sunday 2 December 2018

प्रत्यय (Suffix)

     प्रत्यय की परिभाषा : किसी शब्द के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ को परिवर्तित कर देने वाले शब्दांश प्रत्यय कहलाते हैं ; जैसे - कड़ुवा + हट = कड़ुवाहट, निकट + ता = निकटता | यहाँ पर 'हट' और 'ता' प्रत्यय हैं | 

     प्रत्ययों के भेद : प्रत्ययों के निम्नलिखित भेद होते हैं -
     (१) कृत् प्रत्यय  (२) तद्धित प्रत्यय  (३) स्त्री प्रत्यय  (४) नामधातु प्रत्यय 

     (१) कृत् प्रत्यय : किसी क्रिया अथवा धातु के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देने वाले शब्दांश कृत् प्रत्यय कहलाते हैं और उनसे निर्मित शब्दों को कृदन्त (कृत् + अन्त = कृदन्त) कहा जाता है ; जैसे - बोलना + वाला = बोलने वाला | कृत् प्रत्यय के निम्नलिखित पाँच भेद होते हैं -
     (क) कर्तृवाचक प्रत्यय,
     (ख) कर्मवाचक प्रत्यय,
     (ग) करणवाचक प्रत्यय,
     (घ) भाववाचक प्रत्यय,
     (ङ) क्रियावाचक प्रत्यय |

     (क) कर्तृवाचक प्रत्यय : क्रिया (धातु) शब्दों के अन्त में जोड़ने वाले वे शब्दांश, जो क्रिया को कर्त्ताकारक संज्ञा बना दें,
 कर्तृवाचक प्रत्यय कहलाते हैं ; जैसे - पाल + अक = पालक, खेल + आड़ी = खिलाड़ी, लूट + एरा =लुटेरा, रख + वाला = रखवाला, उड़ + ऊ = उड़ाऊ, झगड़ + आलू = झगड़ालू, गा + ऐया = गवैया | 
     (ख) कर्मवाचक प्रत्यय : धातु अथवा क्रिया के अन्त में जुड़कर उसे कर्मवाचक संज्ञा बना देने वाले शब्दांश कर्मवाचक प्रत्यय कहलाते हैं ; जैसे - बिछ + औना = बिछौना, खा + ना = खाना, ओढ़ + नी = ओढ़नी, पठ + इत = पठित |
     (ग) करणवाचक प्रत्यय : धातु अथवा क्रिया के अन्त में जुड़कर उसे करणवाचक संज्ञा बना देने वाले शब्दांश करणवाचक प्रत्यय कहलाते हैं ; जैसे - फँस + ई = फाँसी, कस + औटी = कसौटी, बँध + न = बन्धन, झाड़ + न = झाड़न, रेतना + ई = रेती, झूल + आ = झूला, फूल + आ = फूला |

     (घ) भाववाचक प्रत्यय : धातु अथवा क्रिया के अन्त में जुड़कर उसे भाववाचक संज्ञा बना देने वाले शब्दांश भाववाचक प्रत्यय कहलाते हैं ; जैसे - पढ़ + आई = पढ़ाई, तन + आव = तनाव, दिख + आवा = दिखावा, रुक + आवत = रुकावट, गुर्राना + आहट = गुर्राहट |
     (ङ) क्रियावाचक प्रत्यय : धातु के अन्त में जुड़कर क्रिया के होने के भाव को प्रकट करने वाले शब्दांश क्रियावाचक प्रत्यय कहलाते हैं | इन प्रत्ययों से कृदन्त बनाने के लिए मूल धातु के साथ 'ता' अथवा 'आ' जोड़कर उसके पश्चात 'हुआ' लगा देते हैं ; जैसे - लिख + ता हुआ = लिखता हुआ, लिख + आ हुआ = लिखा हुआ, सुन + ता हुआ = सुनता हुआ, जा + ता हुआ = जाता हुआ |

     (२) तद्धित प्रत्यय : संज्ञा और विशेषण शब्दों अन्त में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन करने वाले शब्दांश तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं और उनसे निर्मित शब्द 'तद्धितान्त' कहलाते हैं ; जैसे - सुख + इया = सुखिया, जादू + गर = जादूगर, खेत + वाला = खेतवाला, डेक + ची = डेकची |
     तद्धित प्रत्यय निम्नलिखित आठ प्रकार के होते हैं -
     (क) कर्तृवाचक तद्धित   (ख) भाववाचक तद्धित   (ग) सम्बन्धवाचक तद्धित   (घ) लघुतावाचक तद्धित
     (ङ) गणनावाचक तद्धित   (च) सादृश्यवाचक तद्धित   (छ) गुणवाचक तद्धित   (ज) स्थानवाचक तद्धित 


     (क) कर्तृवाचक तद्धित : संज्ञा अथवा विशेषण शब्दों के अन्त में जुड़कर जो शब्दांश किसी कार्य को करने वाले का बोध कराएं, उन्हें कर्तृवाचक तद्धित प्रत्यय कहा जाता है ; जैसे - लोहा + आर = लोहार, सोना + आर = सुनार, तेल + ई = तेली, दुःख + इया = दुःखिया, गेरू + आ = गेरुआ, बाजी + गर = बाजीगर, बेल + ची = बेलची, गुब्बारा + वाला = गुब्बारे वाला, पानी + हारी = पनिहारी, लकड़ी + हारा = लकड़हारा |
     (ख) भाववाचक तद्धित : जो प्रत्यय संज्ञा अथवा विशेषण शब्दों के साथ लगकर भाव व्यक्त करते हैं, उन्हें भाववाचक तद्धित कहा जाता है; जैसे - बजाज + आ = बजाजा, सर्राफ + आ = सर्राफा, बुरा + ई = बुराई, भला + ई = भलाई, चिपचिपा + आहट = चिपचिपाहट, आम + आवट = अमावट, काला + इमा = कालिमा, नीला + इमा = नीलिमा, ठण्ड + ई = ठण्डी, गर्म + ई = गर्मी, कटु + ता = कटुता, मधुर + ता = मधुरता, मोटा + पा = मोटापा आदि |
     (ग) सम्बन्धवाचक तद्धित : जो प्रत्यय संज्ञा अथवा विशेषण शब्दों के साथ मिलकर सम्बन्ध को प्रकट करते हैं, उन्हें सम्बन्धवाचक तद्धित प्रत्यय कहा जाता है; जैसे - ससुर + आल = ससुराल, नाना + आल = ननिहाल, मामा + एरा = ममेरा, फूफा + एरा = फुफेरा आदि |
     (घ) लघुतावाचक तद्धित : संज्ञा अथवा विशेषण शब्दों के साथ जोड़कर लघुता का ज्ञान कराने वाले प्रत्यय लघुतावाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं ; जैसे - डिब्बा + इया = डिबिया, लोटा + इया = लुटिया, ढोलक + ई = ढोलकी, मेंढक + ई = मेंढकी, लंगोट + ई = लंगोटी, बछड़ा + ई = बछड़ी आदि |

     (ङ) गणनावाचक तद्धित : जो प्रत्यय संज्ञा अथवा विशेषण शब्दों के साथ जुड़कर संख्या का ज्ञान कराते हैं, उन्हें गणनावाचक तद्धित प्रत्यय कहा जाता है; जैसे - प्रथम + ला = पहला; दो + रा = दूसरा; तीन + रा = तीसरा, चार + था = चौथा, पाँच + वाँ = पाँचवाँ, एक + हरा = इकहरा, दो + हरा = दुहरा आदि |
     (च) सादृश्यवाचक तद्धित : जो प्रत्यय संज्ञा अथवा विशेषण शब्दों के साथ जुड़कर समानता का बोध कराते हैं, उन्हें सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहते हैं; जैसे - मोटा + सा = मोटा सा, नीला + सा = नीला सा, सोना + हरा = सुनहरा, रूप + हला = रूपहला आदि | 

     (छ) गुणवाचक तद्धित : संज्ञा अथवा विशेषण शब्दों के अन्त में जुड़कर गुण का बोध कराने वाले प्रत्ययों को गुणवाचक तद्धित प्रत्यय कहा जाता है ; जैसे - भूख + आ = भूखा, प्यास + आ = प्यासा, सूख + आ = सूखा, कंजूस + ई = कंजूसी, देहात + ई = देहाती, करण + ईय = करणीय, वाञ्छित + ईय = वाञ्छनीय, रंग + ईला = रंगीला, छैल + ईला = छबीला, दया + लू = दयालू, कुल + वन्त = कुलवन्त, धन + वान् = धनवान्, दया + वान् = दयावान् आदि |
     (ज) स्थानवाचक तद्धित : जो प्रत्यय संज्ञा अथवा विशेषण शब्दों के साथ जुड़कर किसी स्थान का ज्ञान कराते हैं, उन्हें स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय कहा जाता है ; जैसे - आलमपुर + इया = आलमपुरिया, नागल + इया = नागलिया, हरियाणा + वी = हरियाणवी, गढ़वाल = ई = गढ़वाली, मेरठ + वाला = मेरठवाला, कानपुर + वाला = कानपुरवाला आदि |

     (३) स्त्री प्रत्यय : पुल्लिंग शब्दों के साथ जुड़कर जो प्रत्यय स्त्रीलिंग शब्दों की रचना करते हैं, उन्हें स्त्री प्रत्यय कहा जाता है; जैसे - साजन + ई = सजनी, लड़का + ई = लड़की, प्रिय + आ = प्रिया, पाठक + इका = पाठिका, गायक + इका = गायिका, कार्यकर्त्ता + री = कार्यकर्त्रीं, नेता + री = नेत्री आदि |

     (४) नामधातु प्रत्यय : जो प्रत्यय संज्ञा अथवा सर्वनाम आदि शब्दों के साथ जुड़कर उन्हें क्रिया बना देते हैं, उन्हें नामधातु प्रत्यय कहा जाता है ; जैसे - हाथ + इयाना = हथियाना, टनटन + आना = टनटनाना, खटखट + आना = खटखटाना, अपना + आना = अपनाना आदि |